Madina Sharif

तू शम ऐ रिसालत है आलम तेरा परवाना लिरीक्स

तू शम ऐ रिसालत है आलम तेरा परवाना
तू माहे नबुव्वत है ऐ जलवए जानाना

जो साकीए कौसर के चेहरे से निकाब उद्ठे
हर दिल बने मैख़ाना हर आंख हो पैमाना -

दिलअपना चमक उठ्ठे ईमान की तलअत से
कर आंख भी नूरानी ऐ जलवए जाना ना

सरशार मुझे कर दे इक जामे लबालब से
ता हश्र रहे साकी आबाद यह मैखाना

हर फूल में बू तेरी हर शमअ में जु तेरी
बुलबुल है तेरा बुलबुल परवाना है परवाना

पीते हैं तेरे दर का, खाते हैं तेरे दर का
पानी है तेरा पानी दाना है तेरा दाना

संगे दरे जानां करता हूं जबीं सायी
सज्दा न समझ नजदी सर देता हूं नज़राना

गिर पड़के यहां पहुंचा मर मरके इसे पाया
छूटे न इलाही अब संगे दरे जानाना

आबाद इसे फरमा वीरां है दिले नूरी
जलवे तेरे बस जायें आबाद हो वीराना