Ajmer Sharif

ख्वाजाकी छट्ठी आई नेअमत बळी लाई मनकबते गरीब नवाज लिरीक्स

ख्वाजाकी छट्ठी आई नेअमत बळी लाई
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर...

आलम में हलचल खुब मची है, पीरो जवां में देखो मस्ती रची है
रहेमतकी घटा छाई है खुल्द ईतराई,
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर...

रस्ते चले है हिंदके अजमेरकी जानीब, उर्षमें आनेका कौन नही तालीब
बाराते सजी आई बस एक नगमां गाई,
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर...

हर गली हर डगर आशीकोसे पुर है, जीस्का भी देखो चहेरा नुर ही नुर है
गरीबोकी हज आई तयबां की फीझा छाई,
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर...

अना सागरकी लहेरे जोशमें आई, करामते ख्वाजा कया फीर याद आई
ये करीश्मा खुदाई है जानो दील फीदाई,
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर...

चोटी तारागढकी सरखम खळी है, अझमते ख्वाजाको दीलमें जळी है कया दीलसे दील लगाई ख्वाजाको है भाई,
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर..

शाकी “बाहिद” बने जबसे “दिलावर”, अदनासे आला कहे ख्वाजा सनावर
कया चिश्ती मय पीलाई महेफील जुम आई,
चलेंगे...चलेंगे...चलेंगे अजमेर...