Ajmer Sharif

ख्वाजा के दरपे जमीं, सबकी नझर है मनकबते गरीब नवाज लिरीक्स

ख्वाजा के दरपे जमीं, सबकी नझर है
हिन्दके गरीबोका, उनपे गुझर है...

दादा अली है उनके, दादी है झोहरा
गौष के करम का, उनपे रहेता है पहेरा
नाना भी उनके देखो, खैरूल बशर है...

दिखादे ईलाही हमको, अजमेरी गलीया
जीनपे बीखेरे कुदसी, खुल्दकी कलीया
ख्वाजा की नगरी, जैसे जन्नती झेवर है...

शाहो फकिर का सदा, जमता है जमेला
दाता का दस्ते करम, सब पर हे फैला
सबको संभाले, ऐसा कल्बो जीगर है...

है रहेमतके दरीये की, मौज हिन्द आई
करम के खझानेकी, होती है बटाई
अताए मोईनीमें, मुहम्मदी असर है...

रिश्ते हमारे सारे, तुमसे जुडे है
पीछे ये दुनिया वाले, फीर कयूुं पडे है
चिश्तीया लीया है जोग, ईतनी खबर है...

देखो ना गरीबोके उतरे है चहेरे
गमके हटादो ख्वाजा, हमसे ये पहेरे
सुना गमझदोकी तुं, रखता खबर है...

झंजीरे करमसे जकडा, हो अपना या पराया
है हिन्दु मुसलमांके सर, तेरा ही साया
सभी रजबमें चलते, एक डगर है...

पुछो भी उल्फतका, सिला कया मीला है
पीरे वाहिद” में मुजको, खवाजा मीला है
दिलावर” दो चश्मो का, एक मंझर है...