मेरी बिगड़ी बनाने को अली का नाम काफी है
सोई किस्मत जगाने को अली का नाम काफी है
अली का जिक्र करता हूं इबादत है यही मेरी
खताए बख्शवाने को अली का नाम काफी है
मेरी बिगड़ी बनाने को अली का नाम काफी है…
दरे हैदर से निस्बत है नहीं परवाह जमाने की
मेरे सारे घराने को अली का नाम काफी है
मेरी बिगड़ी बनाने को अली का नाम काफी है…
अली के दुश्मनों से क्यों उलझते हो सरे महफिल
बस इनका दिल जलाने को अली का नाम काफी है
मेरी बिगड़ी बनाने को अली का नाम काफी है…
मेरा दिल चीर कर देखो अली के जिक्र से रोशन
अली के हर दीवाने को अली का नाम काफी है
मेरी बिगड़ी बनाने को अली का नाम काफी है…
जमाना रुठ जाए गर मुझे परवाह नहीं सय्यद
मेरी इज्जत बचाने को अली का नाम काफीहै
मेरी बिगड़ी बनाने को अली का नाम काफी है…