Madina Sharif

मैं नजर करूं जानो जिगर कैसा लगेगा नात लिरीक्स

मैं नजर करूं जानो जिगर कैसा लगेगा
रख दूं दरे सरकार पे सर कैसा लगेगा

आजायें मुक॒द्दर से शहे दीं जो मेरे घर
मैं कैसा लगूंगा मेरा घर कैसा लंगेगा

जब दूर से है इतना हसीं गुम्बदे खज़रा
इस पार है ऐसा तो उधर कैसा लगेगा

गौसुलवरा से पूछ लें इक रोज यह चल कर
बगदाद से तैबा का सफर कैसा लगेगा

महशर की तमाज़तं में वह कुदरत के फरिश्ते
तोड़ेंगे जो नज्दी की कमर कैसा लगेगा

आ जा यें तड़प कर अगर वह शेरेबरैली
रोबाह में वह शेरे बबर कैसा लगेगा . ..