Ajmer Sharif

लगता मुजे ये हर पल, जन्नतमें गुझरती है मनकबते गरीब नवाज लिरीक्स

लगता मुजे ये हर पल, जन्नतमें गुझरती है
ख्वाजाके दरपे मौला की रहेमत बरसती है...

हसता है कोई रोता है, चोखट को थामकर
जझबात की ये बीजलीया, लाखो कडकती है...

दो चारकी तो बात नही, लाखोमें है शुमार
पालेगा कौन ईतने फकिर, छाती धडकती है...

जीसका न हो जहांमें कोई, आजाये दोडकर
चौखटपे मेरे ख्वाजाकी वो मुहब्बत मीलती है...

दीलसे नीकल ही जाते है गम सारे खुद ब खुद
खुशीया हमारे कदमो पे युं, सर को मलती है...

पानी के बदले आग दे, चमनको ये दुनिया है
ख्वाजा के दरपे उजडी हुई, फसले खीलती है...

आये कजा ए मेरे खुदा, उस वकत उस घडी
जलवा दीखा के ख्वाजा कहे, चल तुं बहीश्ती है...

चोखट पे सजदे लाख करू, हो जाउ मे निसार
वाईझ ये अकीदत है, मेरी ख्वाजा परस्ती है...

सारी हदे खतम हुई, देहलीझ पे आन कर
लाखो बलाये थम गई, हाथ मलती है...

सजधज के आये लाखो, अमीरो के काफले
उनकी नझर गरीब पे आकर ठहरती है...

अब यकता नही “दिलावर", तेरा करम जो है
“वाहिद” की रेहबरी है, दुनिया लरझती है...