Ajmer Sharif

हिन्दमें रोझा तेरा, खुल्दकी बहार है मनकबते गरीब नवाज लिरीक्स

मे बरसो गम खाया, गुरबत पे शरमाया
आया हुं तुमरे दवार, ख्वाजाजी मोरी लाज रखो
ख्वाजाजी मोरी लाज रखो, ख्वाजाजी मोरी लाज रखो...

शेरेखुदा के तुम हो दिलबर, फातेमां बी के प्यारे
हसनो हुसैन के राहते जानी, गौषपीया के दुलारे
मे बरसो गम खाया,गुरबत पे शरमाया
दो पीर का सदका उतार, ख्वाजाजी मोरी लाज रखो...

घुर के देखे दुनिया सारी, नफरत के हरसुं डेरे
अपने गदा को प्यारसे देखो, कहीं खाली न जाये फेरे
मे बरसो गम खाया, गुरबत पे शरमाया
बीगडा बनादो संसार, खाजाजी मोरी लाज रखो...

एक प्यालेमें सागर समाया, कीया ऐसा करीश्मा भारी
अबजो के संग मुजको संभालो, करो फैझो करमको जारी
मे बरसो गम खाया, गुरबत पे शरमाया
तुम हो सखी दातार, ख्वाजाजी मोरी लाज रखो...

नैयाके संग लागे थपेडे, अभी दुर बडा है किनारा
माजीने मुंह मोड लीया है, कोई नही है सहारा
मे बरसो गम खाया, गुरबत पे शरमाया
मेरे तुमही खैवनहार,ख्वाजाजी मोरी लाज रखो...

नामपे तेरे मर मीटना है, मेरी ईबादत तकवा देदे
वाईझ दिलमें जो आये, चाहे मुजे कोई फतवा
मे बरसो गम खाया, गुरबत पे शरमाया
हो...दिल चाहे आजार, खाजाजी मोरी लाज रखो...

तेरी नवाजीश तेरी अता का, आलम हर कोई जाने
तेरे मंगते तख्त पे बेठे, मुन्कीर चाहे न माने
मे बरसो गम खाया, गुरबत शरमाया
दैन तुम्हारी बेशुमार, ख्वाजाजी मोरी लाज रखो...

पीरे मुगा मेरे “पीरे वाहिद” है, दिलसे तेरे शयदाई
उनका तसव्वुर जबभी कीया है, पाया उन्हे हर जांई
मे बरसो गम खाया, गुरबत पे शरमाया
हो “दिलावर” के खरीदार, खाजाजी मोरी लाज रखो...