चलो रे सखी आज ख्वाजाके अंगना, सब मील उछट्ठीया मनाये
चीश्तीया रंगमें खुदभी नहाये, अपने ख्वाजाको संग नहेलाये...
सब सखीयन आई, सजके सींगरवा, मुजको कौन सजाये
मुख पव्ठी मोरे छाया गमकी, कौन है जो मन बहेलाये
कोई कहीयो पीं से जाके, बईया पकब्ठ मोहे संग नचावे...
हसनी हुसैनी थागा लगेगी, हैदरी फातमी रंग रंगेली
कलमा उनमें मुतयनसे लीखी, नबवी प्यारका आर चडेली
ऐसी चुनरीया पीं से लुगी, लेकर मन हरखावे...
चीश्तीया अंखीयनमां कादरी काजल, कुरता चमके मदनी मलमल ख्वाजा दुल्हा मनमोहन लागे, हुस्नका दील होवे देख घायल
टीका बीलाली रंगका लागे, करनी प्रीत दीपावे...
सर सोहे मुईनके ताजे तत्हीरा, हम सब कंकरी ख्वाजा लागे हीरा ख्वाजा कुतुब संग आये फरीदा, लाये नीझाम संग
अपने नसीरा
बंदा नवाझ गुलबर्गासे आये, खुसरू खमदार झुल्फे जुलावे...
सबीहे ख्वाजा लागे “पीरे वाहिद”, ईसपे सब वाहिदी होते है शाहीद
एक सजदेमें जन्नतको पावे, लाख सजदेमें जो ना पावे झाहीद
ऐसन रीत पीं से पाये “दिलावर” खुल्दको हमरे खातीर तरसावे...
कादरी चीश्ती रंग की बहारे, “पीरे दिलावर” की है नवाजीश
आओ सखीयन सब मीलकर जुमे, अपने पीया पे वारी वारी जाये...