Madina Sharif

आक़ा है हमारा मौला है हमारा नात लिरिक्स

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा
वो मालिक ओ मुख्तार हैं मुख़्तार हैं मुख़्तार
ऐसे मेरे सरकार हैं सरकार हैं सरकार

जो फूल सा होते हुए काँटों पे चला है
इस्लाम की 'अज़मत के लिए दर्द सहा है
अपने ही नहीं गैरों को भी माफ़ किया है
तौहीन कभी होगी नहीं उस की गवारा

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा

सूखी हुई लकड़ी को जो तलवार बना दे
इंसान तो इंसान दरख़्तों को चला दे
ऊँगली के इशारे से करे चाँद के टुकड़े
डूबे हुए सूरज को जो बुलवा ले दोबारा

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा

ख़ुद फ़ाक़ा किया उस ने मगर सब को खिलाया
बेवाओं यतीमों को कलेजे से लगाया
इक दूध के प्याले से ही सत्तर को पिलाया
करता है मदीने से जो दुनिया का नज़ारा

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा

वो जिस के सहाबा भी सितारों की तरह हैं
और आल ए नबी राजदुलारों की तरह हैं
हैं जितने मुख़ालिफ़ वो गंवारों की तरह हैं
हम लोग दीवाने हैं, लगाएंगे ये ना'रा

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा

सर काट भी डालोगे तो दीवाना कहेगा
जो कह दिया मौला ने वही हो के रहेगा
महशर में फ़क़त उस का ही फ़रमान चलेगा
वो जिस पे है अल्लाह ने कुरआन उतारा

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा

क्या माँगूँ भला अब मैं, न'ईम अपने ख़ुदा से
मैं ना'त ए-नबी पढ़ने लगा उस की 'अता से
सब कुछ है मिला सरवर ए 'आलम की दु'आ से
रौशन किया जिस ने ये मुक़द्दर का सितारा

आक़ा है हमारा मौला है हमारा
आक़ा है हमारा मौला है हमारा

शायर:- नइम साहेब
ना'त-ख़्वाँ:- अहमदुल फ़त्ताह