(1) हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि मालिके बहरो बर, हुस्ने अख़्लाक़ के पैकर, नबियों के ताजवर, महबूबे रब्बे अक्बर صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : "बेशक" कुरआन में तीस आयतों पर मुश्तमिल एक सूरत है जो अपने कारी के लिये शफ़ाअत करती रहेगी यहां तक कि उस की मग़्फ़िरत कर दी जाएगी और येह है।" (तबारक्ल लज़ी बियदीहि्ल मुल्क)
(2) हज़रते सय्यदुना अनस رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि रहमते आलम, नूरे मुजस्सम, रसूले अकरम صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : कुरआने करीम में एक सूरत है जो अपने कारी के बारे में झगड़ा करेगी यहां तक कि उसे जन्नत में दाखिल करा देगी और वोह येही सूरए मुल्क है। (الدر المنثور ج۸ ص۲۳۳)
(3) हज़रते सय्यदुना अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद رضي الله تالا أنه फरमाते हैं कि “जब बन्दा क़ब्र में जाएगा तो अज़ाब उस के क़दमों की जानिब से आएगा तो उस के क़दम कहेंगे तेरे लिये मेरी तरफ से कोई रास्ता नहीं क्यूं कि येह रात में सूरए मुल्क पढ़ा करता था, फिर अज़ाब उस के सीने या पेट की तरफ़ से आएगा तो वोह कहेगा कि तुम्हारे लिये मेरी जानिब से कोई रास्ता नहीं क्यूं कि येह रात में सूरए मुल्क पढ़ा करता था, फिर वोह उस के सर की तरफ से आएगा तो सर कहेगा कि तुम्हारे लिये मेरी तरफ से कोई रास्ता नही क्यूं कि येह रात में सूरए मुल्क पढ़ा करता था । " तो येह सूरत रोकने वाली है, अज़ाबे क़ब्र से रोकती है, तौरात में इस का नाम सूरए मुल्क है जो इसे रात में पढ़ता है बहुत ज्यादा और अच्छा अमल करता है । " (المستدرك على الصحيحين حديث ۳۸۹۲ ج۳ ص۳۲۲)
(4) हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास رضي الله تالا أنه फरमाते हैं कि एक सहाबी ने एक कब्र पर अपना खैमा लगाया मगर उन्हें इल्म न था कि यहां कब्र है लेकिन बा'द में पता चला कि वहां किसी शख़्स की कब्र है जो सूरए मुल्क पढ़ रहा है और उस ने पूरी सूरत खत्म की वोह सहाबी रहमते आलम صلاله عليه وسلم की बारगाह में हाज़र हुए और अर्ज़ किया : '"या रसूलल्लाह! صلاله عليه وسلم में ने एक कब्र पर खैमा तान लिया मगर मुझे मा लूम न था कि वहां कब्र है जब कि वहां एक ऐसे शख्स की कब्र है जो रोज़ाना पूरी सू-रतुल मुल्क पढ़ता है तो रसूलुल्लाह صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : "येही रोकने वाली है, येही नजात दिलाने वाली है जिस ने उसे अजाबे कब्र से महफूज रखा।"
(5) हुजूरे अकरम صلاله عليه وسلم का फ़रमाने आलीशान है कि मेरी ख्वाहिश है कि हर मोंमिन के दिल में हो।
(6)चांद देख कर इस को पढ़ा जाए तो महीने के तीस दिनों तक वोह सख्तियों से महफूज़ रहेगा, इस लिये कि येह तीस आयतें है और तीस दिन के लिये काफ़ी हैं।
(7) हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास رضي الله تالا أنه फरमाते हैं कि मीठे मीठे आका, मक्की म-दनी मुस्त्फ़ा صلاله عليه وسلم ने इरशाद फरमाया : बेशक में कुरआन में 30 आयात की एक सूरत पाता हूं, जो शख्स सोते वक्त इस (सूरत) की तिलावत करे, उस के लिये 30 नेकियां लिखी जाएंगी, और उस के 30 गुनाह मिटाए जाएंगे, और उस के 30 द-रजात बुलन्द किये जाएंगे, अल्लाहु रब्बुल इजज़्ज़त अपने फ़िरिश्तों में से एक फिरिश्ता उस की तरफ भेजेगा, ताकि वोह उस पर अपने पर बिछा दे और उस की हर चीज़ से जागने तक हिफाज़त करे, और येह मुजा-दला (या'नी झगडा) करने वाली है, अपने पढ़ने वाले की मग्फ़िरत के लिये कब्र में झगड़ा करेगी,
(৪) सरकारे मदीनए मुनव्वरह, सरदारे मक्कए मुकर्रमा صلاله عليه وسلم रात को आराम फरमाने से पहले सू-रतुल मुल्क कि तिलावत फरमाते थे।
(9) हज़रते सय्यिदुना इब्ने अब्बास رضي الله تالا أنه ने एक आदमी से फरमाया : क्या मैं तुझे एक हदीस तोहफ़े के तौर पर न दूं जिस के साथ तू खुश हो जाए, उस ने अर्ज़ की बेशक! तो आप ने फरमाया येह सूरत पढो और अपने अहलो अयाल, अपने तमाम बच्चों, अपने घर के बच्चों और अपने पड़ोसियों को सिखाओ (इस की इन्हें ता' लीम दो) क्युं कि येह नजात दिलाने वाली है और कियामत के दिन अपने कारी के लिये अपने रब के पास झगड़ने वाली है, और येह उसे तलाश करेगी ताकि उसे जहन्नम के अज़ाब से नजात दिलाए और इस के सबब इस का कारी अज़ाब से भी नजात पा जाएगा। (मदनी पंजसुराह)