(1) हज़रते सय्यदुना मा 'क़िल बिन यसार رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि सरकारे वाला तबार, हम बे कसों के मददगार, शफ़ीए रोज़े शुमार, दो आलम के मालिको मुख़्तार, हबीबे परवर्दगार صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : सूरए यासीन कुरआन का दिल है जो इसे अल्लाह की रिज़ा और आख़िरत की बेहतरी के लिये पढ़ेगा उस की मग्फिरत कर दी जाएगी । (المسند للإمام أحمد بن حنبل، حدیث ۲۰۳۲۲ ج۷ ص٢٨٦ ملتقطاً)
(2) हज़रते सय्यदुना अनस رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : बेशक हर चीज़ का एक दिल है और कुरआन का दिल सूरए यासीन है और जो एक मर्तबा सूरए यासीन पढ़ेगा उस के लिये दस मर्तबा कुरआन पढ़ने का सवाब लिखा जाएगा ।
(3) हज़रते सय्यदुना हस्सान बिन अतिया رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि, सरदारे मक्कए मुकर्रमा, सरकारे मदीनए मुनव्वरह صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : तौरात में सूरए यासीन का नाम मुइम्मह है, क्यूं कि येह अपनी तिलावत करने वाले को दुन्या और आख़िरत की हर भलाई अता करती है, और दुन्या व आख़िरत की बलाएं इस से दूर करती है। और दुन्या व आख़िरत की होलनाकियों से नजात बख़्शती है। और इस का नाम मुदाफ़ि-अतुल कादियह भी है, क्यूं कि येह ‘अपनी तिलावत करने वाले से हर बुराई को दूर कर देती है और इस की 'हर हाजत पूरी करती है, जिस शख्स ने इस की तिलावत की येह उस के लिये बीस हज के बराबर है, और जिस ने इस को लिखा फिर इसे पिया तो उस के पेट में हज़ार दवाएं, हज़ार नूर, हज़ार यक़ीन, हज़ार ब-र-कतें और हज़ार रहमतें दाखिल होंगी और इस से हर धोका और हर बीमारी दूर हो जाएगी।
(4) हज़रते सय्यदुना इब्ने अब्बास رضي الله تالا أنه से, रिवायत है कि नबिय्ये अकरम, नूरे मुजस्सम, सरकारे दो आलम صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : मेरी ख़्वाहिश है कि सूरए यासीन मेरी उम्मत के हर इन्सान के दिल में हो। (ऐज़न, स. 38)
(5) हज़रते सय्यिदुना अनस رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरम, रसूले मुहतशम, शाहे बनी आदम 'صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : जो शख़्स हमेशा हर रात यासीन की तिलावत करता रहा फिर मर गया तो वोह शहीद मरेगा । (ऐज़न, स. 38)
(6) हज़रते सय्यिदुना अता बिन अबू रबाह ताबेई رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि शहन्शाहे मदीना, सुरूरे कुल्बो सीना صلاله عليه وسلم ने इर्शाद फ़रमाया : जो शख़्स दिन की इब्तिदा में सूरए यासीन की तिलावत करेगा, उस की तमाम हाजात पूरी कर दी जाएंगी । (ऐज़न, स. 38)
(7) हज़रते सय्यदुना इब्ने अब्बास رضي الله تالا أنه फ़रमाते हैं : जो शख़्स ब वक्ते सुब्ह सूरए यासीन की तिलावत करे उस दिन की आसानी उसे शाम तक अता की गई, और जिस शख्स ने रात की इब्तिदा में इस की तिलावत की उसे सुबह तक उस रात की आसानी दी गई । (ऐज़न, स. 38 )
(8) हज़रते सय्यदुना मा 'किल बिन यसार رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि बेशक हुज़ूरे पाक, साहिबे लौलाक صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : सूरए यासीन कुरआन का दिल है, जो शख़्स इस सूरए मुबा-रका की अल्लाह और आखिरत के लिये तिलावत करेगा, उस के पहले के गुनाह बख़्श दिये जाएंगे, तो तुम इस की तिलावत अपने मरने वालों के पास करो ।(ऐज़न, स. 38)
(9) हज़रते सय्यदुना अबू दरदा رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि हुज़ूरे अकरम, शाहे बनी आदम صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया: जिस मरने वाले के पास सूरए यासीन तिलावत की जाती है, अल्लाह तबा - र - क व तआला उस पर ( उस की रूह क़ब्ज़ करने में) नरमी फ़रमाता है। (ऐज़न, स. 38)
(10) हज़रते सय्यिदुना अबू कलाबा رضي الله تالا أنه से रिवायत है, वोह फ़रमाते हैं: जिस ने सूरए यासीन की तिलावत की उस की मगफिरत हो जाएगी, और जिस ने खाने के वक्त उस के कम होने की हालत में तिलावत की तो वोह उसे किफ़ायत करेगा, और जिस ने किसी मरने वाले के पास इस की तिलावत की अल्लाह (उस पर) मौत के वक़्त नरमी फ़रमाएगा, और जिस ने किसी औरत के पास उस के बच्चे की विलादत की तंगी पर सूरए यासीन की तिलावत की उस पर आसानी होगी, और जिस ने इस की तिलावत की गोया कि उस ने ग्यारह मर्तबा कुरआने पाक की तिलावत की, और हर चीज़ के लिये `दिल है, और कुरआन का दिल सूरए यासीन है। (ऐज़न, स. 39)
(11) हज़रते सय्यदुना अबू जाफ़र मुहम्मद बिन अली رضي الله تالا أنه से रिवायत है फ़रमाते हैं: जो शख़्स अपने दिल में सख़्ती पाए तो वोह एक पियाले में जा' फ़रान से یٰس وَالْقُرْاٰنِالْحَکِیْمِ लिखे फिर उसे पी जाए( दिल नर्म होगा) (ऐज़न, स. 39)
(12) अमीरुल मुअमिनीन हज़रते सय्यदुना अबू बक्र सिद्दीक़ رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि सरकारे मदीना, राहते कल्बो सीना, साहिबे मुअत्तर पसीना, बाइसे नुज़ूले सकीना صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : जिस ने हर जुमुआ को अपने वालिदैन, दोनों या एक की कब्र की जियारत की और उन के पास यासीन की तिलावत की तो अल्लाह हर हर्फ़ के बदले उस की बख़्शिश व मफिरत फ़रमा देता है।
(13) हज़रते सय्यदुना सफ्वान बिन अम्र رضي الله تالا أنه फ़रमाते हैं कि जब आप क़रीबुल मर्ग शख़्स के पास सूरए यासीन की तिलावत करेंगे तो उस से मौत की सख़्ती को हलका किया जाएगा। (ऐज़न, स. 39)
(14) हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि अल्लाह के महबूब, दानाए गुयूब, मुनज़्ज़हुन अनिल ऊयूब صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया: जिस ने शबे जुमुआ सूरए यासीन की तिलावत की उस की मरिफ़रत कर दी जाएगी । (الترغيب والترهيب حديث: ٤،ج۱، ص۲۹۸)
(15) हज़रते सय्यि-दतुना आइशा सिद्दीका رضي الله تالا أنها रिवायत है कि सरकारे मदीना, राहते कुल्बो सीना صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया : कुरआने हकीम में एक सूरत है जिसे अल्लाह तआला के यहां अज़ीम कहा जाता है, उस के पढ़ने वाले को अल्लाह तआला के यहां शरीफ़ कहा जाता है, उस को पढ़ने वाला क़ियामत के रोज़ रबीआ़ और मुज़िर क़बाइल से जा़इद अफराद की शफ़ाअत करेगा, वोह सूरए यासीन है।
(16) शैखुल हदीस मौलाना अब्दुल मुस्तफा आ' ज़मी ने ‘‘जन्नती ज़ेवर" सफ़हा 594 पर सूरए यासीन पढ़ने बहुत सी ब-र-कतें शुमार की हैं: