(1) हुदैबिया से वापसी में मक्कए मुकर्रमा और मदीनए मुनव्वरह के रास्ते में इस सूरत का नुज़ूल हुवा । जब येह सूरत नाज़िल हुई तो नबिय्ये करीम, रऊफुर्रहीम ने फ़रमाया : आज रात मुझ पर एक ऐसी सूरत नाज़िल हुई जो मुझे दुन्या की हर चीज़ से ज़ियादा प्यारी है। (صحيح البخاري كتاب التفسير الحديث٤٨٣٣ ج۳ ص۳۲۸)
(2) जिस वक्त रमज़ान शरीफ़ का चांद देखा जाए तो सूरए फ़त्ह को तीन बार पढ़ने से तमाम साल रिज्क में फ़राख़ी होती है। कश्ती में सुवार होते वक़्त पढ़ने से गर्क होने से मामून रहता है। जिदाल और क़िताल के वक्त लिख कर पास रखने से हिफाज़त होती है । (जन्नती जेवर, स. 596)
(3) दुश्मनों पर फ़त्ह पाने के लिये इस को 21 मर्तबा पढ़िये अगर र-मज़ान का चांद देख कर उस के सामने पढ़ा जाए तो साल भर अम्न रहेगा । (जन्नती ज़ेवर, स. 596) (मदनी पंजसुराह)