(1) हदीस शरीफ़ में है कि येह आयत कुरआने मजीद की आयतों में बहुत ही अ-ज़मत वाली आयत है।
(2) हज़रते सय्यिदुना उबय्य बिन का'ब رضي الله تالا أنه से रिवायत है कि हुस्ने अख़्लाक़ के पैकर, नबियों के ताजवर, महबूबे रब्बे अक्बर صلاله عليه وسلم ने फ़रमाया: ऐ अबू मुन्ज़िर رضي الله تالا أنه ! क्या तुम्हें मालूम है कि कुरआने पाक की जो आयतें तुम्हें याद हैं उनमें कौन सी आयत अज़ीम है? मैं ने अर्ज किया: आयतुल कुरसी फिर रसूलुल्लाह صلاله عليه وسلم ने मेरे सीने पर हाथ मारा और फ़रमाया : ऐ अबू मुन्ज़िर رضي الله تالا أنه ! तुम्हें इल्म मुबारक हो ।
(3) मुस्तदरक की एक रिवायत में है कि "सूरए ब-करह" में एक आयत है जो कुरआने पाक की तमाम आयतों की सरदार है, वोह आयत जिस घर में पढ़ी जाए उस घर से शैतान निकल जाता है। और वोह आयतुल कुरसी है।
(4) अमीरुल मुअमिनीन हज़रते अली رضي الله تالا أنه फ़रमाते हैं कि मैं ने नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर, दो जहां के ताजवर, सुल्ताने बहरो बर صلاله عليه وسلم को मिम्बर पर फ़रमाते हुए सुना जो शख़्स हर नमाज़ के बाद आयतुल कुरसी पढ़े उसे जन्नत में दाखिल होने से मौत के सिवा कोई चीज़ नहीं रोकती और जो कोई रात को सोते वक्त इसे पढ़ेगा अल्लाह उसे, उस के घर को और आस पास के घरों को महफूज़ फ़रमा देगा। (شعب الإيمان ج۲ ص٤٥٨ حديث ٢٣٩٥)