सुन्नी की फितरत नहीं पाबंदियों के साथ जीने की गुलामी कब तक पाव में हमारे जंजीर डालेगी मुसलमानो सर पर टोपीया रख कर चलो अपने यही पहचान मुनाफिक का कालेजा चीर डालेगी
इंसान तू कोई बेजान सा पत्थर भी नहीं है तू कोई फरिश्ता या पयंबर भी नहीं है तू इल्म चश्मा या समंदर भी नहीं है पर रब की निगाहो में तू कमतर भी नहीं है जो कुछ भी है अपनी हदो को पहचान रहमान की पकड से तू बाहर भी नहीं है दुनिया ना बसा दिल में के दुनिया की हकीकत मचर के किसी पर के बराबर भी नहीं है
अपने किरदार का तू गाजी बंजा कोई जीत ना पाए ऐसी तू बाजी बंजा अर्रे गिराने वाले खुद बनायेंगे मस्जिद शर्त ये है पहले तू नमाजी बन जा
हमे इश्क का दर्स जिसने दिया है खुदा के वो मकबूल बंदे रजा है ये उस पर मेरे मुस्तफा की अता है जो अहमद रजा आला हजरत बने है वो तकवे मे फतवे मे सबसे जुदा है रजा मेरे आका का इक मोजिजा है करे कोई आका की तौसीफ ऐसे रजा ने बयां की है तारीफ जैसे बोहोत से उलूमो के मालिक रजा है वो यूं ही नहीं आला हजरत बने है अरे मुंकिरो उनका मयार देखो फकत इल्म क्या उनका किरदार देखो वो खुशबू से सय्यद को पहचानते थे वो अजमत भी सादात की जानते थे दिलो में सरकार की उल्फत बसाया उसी ने हमारा अकिदा बचाया रजा से मुहब्बत है हम आशिको को उसी ने सहारा दिया सुन्नियों को रजा अहले सुन्नत की बुनियाद है जो उस से जले समझो बर्बाद है बगैर आबो दाना भी रेह लेगा सुन्नी रजा के लिए जान दे देगा सुन्नी हम सब रजा के रजा है हमारे लगेगा यूंही आला हजरत का नारा मेरा खयाल हमेशा तलाश करता है बरेली शहर का नक्शा तलाश करता है अरे सारे मुफ्ती हवाले को ढूंढते है मेरे रजा को हवाला तलाश करता है
मां से बडकर कोइ नाम क्या होगा इस नाम का हमसे एहतेराम क्या होगा जिसके मां के कदमों में जन्नत हो उस मां के सर का मकाम क्या होगा
जबान नरगदा में जिस घड़ी खोली अली की लाडली बेटी यजीद से बोली वकारे सब्र हु तस्वीरे पंजेतन हु में अदब से बात कर फातिमा की बेटी हु में
जैनब अबू तुराब की जीनत का नाम है जैनब अमानतो की अमानत का नाम है जैनब अली के खून की तहारत का नाम है जैनब हुसेनियत की जरूरत का नाम है माना के वजूदे शाह में पूरी है करबला और उसमे जैनब ना हो तो अधूरी है करबला
आका के नवासो से ने मुसल्ला नही छोड़ा सर तन से जुदा हो गया सजदा नही छोड़ा दरबार में भी बोली तो तो लहजा ऐ अली में जैनब ने किसी हाल में परदा नही छोड़ा
सरकारे दो आलम की सना कौन करेगा सुन्नी ना करेंगे तो भला कौन करेगा सजदे में है हुसैन खड़ा सर पे है कातिल इस तरह सजदे को अदा कौन करेगा
जिस घर में भी लग जाता है शैतान वहा से जाता है हर मुल्क का झंडा एक तरफ सरकार का झंडा एक तरफ कहने को करोड़ों साजिद है करते है इबादत सब लेकिन वो सारी इबादत एक तरफ शब्बीर का सजदा एक तरफ हर एक वली सब गौसो कुतुब साहिल है गोसे आजम के वलियो की जमात एक तरफ मेरा गौस तन्हा एक तरफ कान में हरकत करता है और चिर के वो रख देता है जंगल का राजा एक तरफ मेरे गौस का कुत्ता एक तरफ क्या शान है साबिर ए कलियर की खुद अपना जनाजा पढ़ते है दुनिया की मय्यत एक तरफ साबिर का जनाजा एक तरफ अजमेर तो सब ही जाते है सुलतानों याया एक तरफ सब हिंद के राजा एक तरफ अजमेर का ख्वाजा एक तरफ
शेरे खुदा के शेर कहा और कहा गिजाल नादे अली कहा और कहा हर्फे पायेमाल शामी जबीने कुफ्र के कतराते इन्फियाल कोसर के मालिको से करे बात ये मजाल किनसे लड़ने के लिए आए हो ये समझोगे देर से जंगल में लड़ने आए हो तुम वो भी शेर से
अजम से सब्र से एहसास से दर लगता है जां बजा बिगड़ी हुई प्यास से डर लगता है शाम से इस लिए करबला में नही आया यजीद उसको जैनब तेरे अब्बास से डर लगता है
जो इम्तहाने मोहब्बत में डाले जाते है उन्ही के सर नेजो पे चढ़ाए जाते है हुसैन हो कासिम हो अब्बास हो या हो अकबर ओ असगर अली के घर में फकत शेर पाले जाते है
अर्शी फर्शी नूरी खाकी मस्त कलंदर खाते है सदका अली के बेटो का सरदार सिकंदर खाते हे ऐसा शरफ बक्शा है अब्बास को हसनैन की माने हाथ वाले सदियों से बे हाथ का लंगर खाते है
खजाने की जो जीनत हो उसे अलमास कहते है तमन्ना हो अगर पानी की उसे सब प्यास कहते है जहा पीते है सब पानी उसे कहते है दरिया और जो दरिया को पिलाए पानी उसे अब्बास कहते है
अब्बास तेरा नाम भी क्या नाम है अली है नाम लिया तेरा बला मेरी टली है अब्बास कटे हाथो से देते है इतना हैरत से खड़ी सखावत देख रही है
जो अपनी प्यास से लहरों को पाल सकता है शराबे दस्त जो समंदर में डाल सकता है कहां हुसैन ने कल में अलम उसे दुगा बगैर बाजू जो लाशकर संभाल सकता है
जिक्रे अब्बास जब मेरे लब पे आता है इसमें जहरा की दुआओं का असर आता है कट गए हाथ लेकिन शेर का गुस्सा ना गया ज़ख्म खा कर भी वो कर्रार नजर आता है शाम की फौज को ये बात मालूम कहा थी ये अली का वो बेटा है जिसे बगैर हाथ भी लड़ने का हुनर आता है
कासिम हु करवाने शुजात का मीर हू दोनो जहां में आफियत अपनी नजीर हु हर खैबरी महाज का में कलागीर हु तलवार का धनी हु कलम का अमीर हु सीने में दिल है फताहे बदरो हुनैन का बेटा हसन का हु सिपाही हुसैन का खंजर कमर में शहे आली सिफत का तावीज बाजू में है बाबा के हाथ का शुजातो के सहिफो का में नतीजा हु यही बोहोत है के में अब्बास का भतीजा हु
तारीफ उस खुदाकी जिसकी सारी खुबसूरती है और जिसने खुबसूरती को कायनात से सजाया काएनातको आफाक से सजाया आफाक को आसमान से सजाया आसमान को सितारों से सजाया सितारों को सफेदी से सजाया सफेदी को चमक से सजाया चमक को दमक से सजाया दमक को कशिश से सजाया कशिश को जेबाई से सजाया ज़ेबाई को सूरत से सजाया सूरत को सीरत से सजाया सीरत को इंसान से सजाया इंसान को अयमाल से सजाया अयमाल को इखलाक से सजाया इखालक को ईमान से सजाया ईमान को कुरान से सजाया और कुरान को साहिबे कुरान से सजाया