बनके तोहिद की पाकीजा कली बोलूगा इश्क ओ वफा की हर एक कली बोलुगा जान से मार दो यही है हल वरना तुम जुबा काट भी दो फीट भी अली बोलूगा ये जुबां काट दो जिस्म जां काट दो मीदहते मुर्तजा की सजा दो मुझे जिक्र ए शाह ए नज़फ से रुकुगा नही चाहे सो बार सूली चढा दो मुझे टुकड़े टुकड़े करो मेरा सारा बदन आग रोशन करो और जला दो मुझे जब मेरे जिस्म की खाक बन जाए ना दोस्तों फ़िर हवा में उडा दो मुझे एक दो दिन नही सुबह मेहशर तलक ये सुन्नी मवाली का वादा रहा जिस तरफ ये हवा जायेगी या अली या अली की सदाए आएगी
जो लाखो के लश्कर में तन्हा दिखाए दे जिस शख्स की तन्हाई भी लश्कर दिखाई दे तारीख के बाब में ऐसा दूसरा इमाम ढूंढ के लाओ चादर जो ओढ़ ले तो पयंबर दिखाई दे कजा भी कांप जाती है अली के एक नारे से मुसीबत में मुहिब्बो दिल जीत जाते है गलतफहमी तुम्हारी है के तुम हमको मिटा दोगे हमारे यहां तो लाखो से बहत्तर जीत जाते है
4 खुल्फाए राशेदिन में अली, 5 पंजेतन में अली 10 अशराए मुब्बशिरा में अली, 12 इमाम में अली 313 असहाबे बद्र में अली,मिc to huसाबे मदीना में अली गदिरे कून में अली, सुले हुदेबीया में अली खैबर में अली, खंदक में अलीl मेहराब पे अली है तो मिम्बर पे भी अली काबा गवाह है दोषे पयंबर पे भी अली हिजरत की शब हुजूर के बिस्तर पे भी अली जन्नत अली कि मिल्क है कोसर पे भी अली बू जर में भी अली है, तो सलमा में भी अली आबाद दमा दम आदम के तन तन में अली, पंजतन में अली लफ्जो में अली, आंहो में अली अश्को में अली, धड़कन में अली फूलो में अली, लेहजो में अली कलियों में अली, गुलशन में अली सेहरा में अली, दरिया में अली, तुफां में अली उत्तर में अली, दक्षिण में अली, पुरब में अली, पश्चिम में अली रीम जीम में अली, बादल में अली,सावन में अली काबे में अली, किबले में अली अबरार अली, अनवार अली, शाहकार अली मुस्तफा ने फरमाया हर मोमिन का मोला है अली हर जा अली मिलेंगे ना दामन बचाइए बचना अगर अली से है तो जहन्नम में जाइए
फौलाद सा दिल पत्थर सा जिगर सब पारा पारा होता है नाम अली का लेते है मैंदान हमारा होता है कोई कही भी अली को पुकार सकता है अली सभी की मुश्किले टाल सकता है काफ़ी नहीं हर्ष में रुकु और सुजूद अली का प्यार ही पुल से गुजार सकता है केहदो वक्त के यजीदियो से के वो दूर हट जाए वरना अली कब्र से निकल कर भी मार सकता है
सवारी अपनी चलती है या अली कहने के बाद मेहफीले अपनी सजती है या अली कहने के बाद हाथ आ जाती है जन्नत या अली कहने के बाद खुद सवर जाती है किस्मत या अली कहने के बाद फिर क्यूं ना एक अली वाला सो पे भारी हो सो गुना बढ़ती है ताकत या अली कहने के बाद
वही दिलेर दिलेर होता है जिसके आगे जबरदस्त भी जेर होता है ज़माने वालो ये मौला ए काईनात का खनदान है यहां दूध पीता बच्चा भी शेर होता है जो शख्स मेहफिले हैदर मे आ नही सकता अली के नाम का नरा लगा नही सकता अली के बचे अगर इजाजत न दे तो किसी का बाप भी जन्नत में जा नही सकता
मौला अली की मेहफिले सजायेगे मुनाफिको के दिल को जलायेगे ये और कोई नही नस्ले अबू तालिब है अगर मैदान में आए है तो जीत कर ही जायेगे ऐसी मेहफिलो के सदके हम नज़फ जाएंगे बे खौफो खतर जाएंगे मौला हमे बुलाएगे नारा अली का हर वक्त लगाते रहिए कुछ तो ऐसे है जो ऐसे नारो से ही मर जायेगे
हवाला याद नही है किताब सोचने दो कहा से पूछ रहे हो निसाब सोचने दो अली की जिंदगी कोई ऐसा सवाल तो लाओ के जब अली ने कहा हो जवाब सोचने दो अंधेरे शब से उजाला निकाल देता है यारसूलल्लाह अजान ऐसी आपका बिलाल देताहै नबी के जिक्र से मिलती है रूह को ठंडक अली का जिक्र लहू को उबाल देता है मेरा खुदा जिसे ओजे कमाल देता है उसे बतूल की चौखट पे डाल देता है परखना है किसी को तो या अली केह दो ये वो अमल है जो शजरे खगाल देता है अली का इश्क मुकद्दर सवार देता है अली का बुग्ज़ चेहरा बिगाड़ देता है तू उनके जिक्र को अदना ना समझ मुनकीर ये वो है जो एक हाथ से खैबर उखाड़ देता है
अली जमीनों का मौला अली ज़मानों का मौला अली हक़ के साथ है हक़ अली के साथ है अली जमाले दो आलम अली ज़माने सुखन अली वकारे दिलो जां अली बहारे चमन अली तो अजल के अंधेरो में हक़की पेहली किरन अली वली से बुरेजा ना होना खुदा के लिए अली तो कुव्वते बाजू है मुस्तफा के लिए क्यू भटक रहे आके वद्दनी के लिए अली का नाम ही काफी है रहबरी के लिए निजात के तालिब हो तुम अबद के लिए कभी पुकार कर देखो उन्हे मदद के लिए सखी वही होताहै जो साहिल को कभी रद्द ना करे अली अली ही नही जो अली मदद ना करे दुनिया उन्ही की गुलाम होती है जो अली का गुलाम होता है रंग हैदर का जिसपे चड जाए उसका तो मर के भी नाम होता है
काशीफे कंज हबीबे अजली केहते है आइना खाना उसे अक्स जली केहते है इल्म के शेहेर का दरवाजा लक़ब जिसका है जिसकी हर सांस को हिकमत की गली कहते है जिसकी हर सांस तस्सवुफ का सबक देती है लेहजा ए इश्क मे वालियों का वली कहते है जिसको डूबा हुआ सूरज भी पलट कर देखे हम उसे अपने अकीदे में अली कहते है
चढ़ते नही जो ईश्के अली कि TRAIN मे भूसा भरा हुआ है उसके BRAIN मे बादे गदीर अली को पहचानना तो COMMON SENSE है अली को छोड़ कर किसी और को मान ना NON-SENSE है नबी ने जो कहा है ऐ मुनाफिक केह दे वो तुभी अली को जो मानेगा शेरे खुदा उसी का जन्नत मे ENTRENCE है बरोजे मेहशर हर एक बंदे का इश्के हैदर मे TEST होगा जो लाएगा उसमे ज्यादा NUMBER खुदा की नजर में वोही BEST होगा मुनाफिको को सजा मिलेगी अली का दुश्मन ARREST होगा जो दिलसे होगा गुलामे हैदर वहा पे वो CHIEF GUEST होगा
अली सिर्फ नाम के अली नही अली काम के भी अली है अली इतने अली है के अली का पूरा खानदान अली है अली कि जहरा अली है अली की जैनब अली है अली के हसन अली है अली के हुसैन अली है अली के अकबर अली है अली के असगर अली है अली के आबेदीन अली है अली के बाकर अली है अली के जाफर अली है अली काजिम अली है अली के अलीरजा अली है अली के तकी अली है अली के नकी अली है अली के असकरी अली है अली इतने अली है अली के मेहदी अली है अली इतने अली है... अली का बैठना अली है अली का उठना अली है अली का सुनना अली है अली का बोलना अली है अली का देखना अली है अलीका पकड़ना अलीहै अली की खामोशी अलीहै अलीका चलना अलीहै अली का गुलाम अली है अली की औलाद अलीहै अली इतने अली है... अली की नमाज अली है अली का कयाम अली है अली का रुकु अली है अली का सजदा अली है अली का सलाम अली है अली की दुआ अली है अली इतने अली है... अली की आंखे अली है अली की जुल्फे अली है अली का चेहरा अली है अली का सीना अली है अली का कदम अली है अली का हाथ अली है अली का हाथ इतना अली है... जिसको 40 मिलकर हिला ना सके उस खैबर को अली ने एक हाथ से उठा कर फेंक दिया वो अली है ला फताह की शान है बिखरे हुए तेवर के साथ कुव्वते हक्क भी मौजूद है कुव्वते हैदर के साथ वो तो यूं कहिए के दरवाजा शिकस्ता रेह गया वरना दिवारे भी खींच आती दरे खैबर के साथ