Huzoor Ki Shan Me Aashar/Sher


By ilmnoohai.com   ·  
Updated:   ·   2 min read.

HUZOOR KE SHER 1.

उन्ही के नाम से करता हु इब्तिदा ए सुखन
जमीरे कुन से जो उगाता है जमीनों जमन
या साहिबल जमाल व या सय्यदिल बशर
मींव वजहे कल मुनीर लकद नूव्वेरल कमर
ला यूंकीनुस्स सनाहु कमा काना हक्कू हु
बाद अज खुदा बुजुर्ग तूही किस्सा मुख्तसर

हुजूर ए अकदस, कासीमुल नैअम, मालिके अर्द,
रिकाब ए उमम, काशीफुल कुर्रब, राफ़ीऊल रूतब, कुसुम कय्यिम वली, अली आली,
मोइन काफी, हफीज वाफी, शफी शाफी,
अफ आफी, गफूर जमील, अज़ीज़ जलील,
वहाब करीम, खलीफा ए मुतलद, हजरत ए रब्ब,
मालीकुल नास, दयानुल अरब, वलियुल फजल,
जलियुल अफजाल, रफीउल मिस्र,
नूरे अकदस, नूरे खुदा, वालिए कोनो मका,
मलिके ला मका, महबबे खुदा,ससूले रहमत,
शफीए मोअज़्जम, नबिए मोहतशम,
अल्लाह के प्यारे, उम्मत के सहारे,
दानाए गय्युब, फख्रे अरबों अजम,
सय्यदे हिंसो जां, सरवरे लालारुखा
शाहे खुबा, जाने जाना,
शेहंशाहे हसीं, तत्तिमाए दौरा,
सरखेले जोहरा जमाला,
जलवाए सूबहे अजल, नूरे जाते लमयजल,
बाइसे तलबीने आलम,फखरेआदम व बनीआदम, नय्यरे बतहा, राज़दारे माओहा, शाहिले मातोहा,
साहिबे अलम नशरह, मासूमे आमिना,
मदनी सरकार, रसूलल्लाह, हबीबल्लाह,
रेहमतुल्लील आलमीन, हुजूर अहमद ए मुजतबा
मुहम्मद मुस्तफा सल्ललाहु अलयही वसल्लम

HUZOOR SHER 2: MADINA SHER/AASHAR

दर्दमंदो ना पूछो के किधर बैठ गए
उनकी महफिल में गनीमत है जिधर बैठ गए
है गरज दिद से या काम तकल्लुफ से नही
कभी इधर बैठ गए कभी उधर बैठ गए
उनकी महफिल किसीको जीते जी उठने नही देती
वो है जिंदा जनाजा जो तेरी महफिल से उठ गए
वो आका की धरती पे अपने बसेरे
वो दिन वो राते वो शामें सवेरे
ना दुनिया का गम था ना घर के झमेले
वो तैयबा की गलियां वो तैयबा के मेले
वो प्रीतम की बस्ती वो नूरानी राते
आओ मिलके बैठे पढ़े उनकी नाते

HUZOOR SHER 3: YE SABA SANAK

उन्ही की बू मयाए समन है
उन्ही का जल्वा चमन चमन है
उन्ही की रंगत गुलाब मे है
उन्ही से गुलशन मेहेक रहे है
वो गुल है लब हाय नाजुक उनके
हजार जड़ते है फूल जिनसे
गुलाब गुलशन में देखे बुलबुल
ये देख गुलशन गुलाब मे है
इक माहे अदन नूरानी बदन
नीची नजरे सबकी खबरे
वो दिखाके पवन वो सुनाके सुखन
मोरा फूंक गया सब तन मन धन
ये सबा सनक वो कली चटक
ये जुबां चेहेक लबे जो जलक
ये मेहेक जलक ये चमक दमक
सब उसी के दम की बहार है
ये समन ये सौ सनो या समन
ये बनफ्ते सुमबुलो नसतरन
गुलो सर्वे लाला भरा चमन
वही एक जलवा हजार है
वो न थे तो बाग में कुछ न था
वो न हो तो बाग हो सब फना
बा अदब जुका लो सरे विला
के में नाम लू गुलो बाग का
गुले तर मोहम्मद मुस्तफा
चमन उनका पाक दयार है

HUZOOR SHER 4: 313

नबी का हुक्म हो तो कुद जाए हम समंदर में
और जहाको मेहेब करदे नाराए अल्लाहुअकबर में निहत्ते 313 बशर शौके शहादत में
निकल आए थे मैदान में मोहम्मद की कयादत में
ना तेगो तीर पे तकिया ना खंजर पर ना भालो पर
भरोसा है तो एक सादी काली कमली वाले पर

HUZOOR SHER 5: HOTE HAI

Ye naaz ye andaz
हा इस ऐतेकाद पर हम ऐतेमाद रखते है
हुजूर अपने गुलामों को याद रखते है
अपने अंदाज ज़माने से जुदा रखते है
हम तो मेहबूब भी मेहबूबे खुदा रखते है
उनके अंदाज जमाने से जुदा होते हैं
जो शहेंशाहे मदीना के गदा होते है
आओ शाख से केहदे के चले सूए हरम
इश्क के सजदे तो मदीने में अदा होते है
मांगने वालों चलो उनके दरे दौलत पर
जिनके दरबार में सुल्तान भी गदा होते है

HUZOOR SHER 6: JAMAAL

जो खयाल आया था ख्वाब में
वह जमाल अपना दिखा गए,
यह महक लेहेक थी लिबास में
के मकान सारा बसा गए,
हमें दामे गमसे छुड़ा गए,
हमें मुसीबतसे बचा गए,
वो नबी मोहम्मद मुस्तफा,
के जो सुए अर्शे उला गए
यह हलीमा भेद खुला नहीं,
ये मकां चुनो चिंरा गए,
तू खुदा से पूछ वो कौन थे,
तेरी बकरियां जो चरा गए,
कहीं हुस्न बनके कबूल में,
कहीं रंग बनके वह फूल में,
कहीं नूर बन के रसूल में,
वह जमाल अपना दिखा गए,
हो दुरूद तुम पर हजार हा,
मेरे रहनुमा मेरे ना खुदा,
मेरा पार बेड़ा लगा गए,
मेरी डूबी कश्ती तिरा गए

HUZOOR SHER 7: SULTANE MADINA

तुम रौनक ए काबा हो सुल्तान ए मदीना हो
हर आंख की पुतली हो हर दिल का नगीना हो,
मुश्क हो या अंबर हो चंपा या चमेली हो
हर इत्र से बेहतर मेरे आका का पसीना हो,
रहमत का यह आलम है चर्चा है जमाने में
खाली ना फिरा दर से फिर कितना ही कमीना हो,
या रब यही हसरत है या रब ये तमन्ना है
सदके में मोहम्मद के रोशन मेरा सीना हो,
हर जर्रे में अल्लाह ही अल्लाह नजर आए
तस्वीरें मोहम्मद गर सीने में दफीना हो,
बेकस हूं मैं बेबस हूं मैं दामन में छुपा लेना
या शाहे दो आलम तुम रहमत का खजीना हो,
दिल है वही दिल जिसमें प्यारे तेरी उल्फत हो
सीना वह कमीना है जिसमें तेरा कीना हो

तुम जाते खुदा से जुदा हो ना खुदा हो
अल्लाह को मालूम है क्या जानिए क्या हो,
यह क्यों कहूं मुझको यह अता हो वो अता हो
वो भीख दो शाहा जिसमें हम सबका भला हो,
मिट्टी ना हो बर्बाद पसे मर्ग इलाही
जब खाक उड़े मेरी मदीने की हवा हो,
हर वक्त करम बंदनवाजी पर तुला है
कुछ काम नहीं इससे बुरा हो के भला हो,
अल्लाह यूं ही उम्र गुजर जाए गदा की
सर खम हो दरे पाक पर और हाथ उठा हो,
मंगता तो है मंगता कोई शाहों में दिखा दे
जिसको मेरे सरकार से टुकड़ा ना मिला हो

HUZOOR SHER 8: KYA CHAHIYE

फजले रब्बुल ऊला और क्या चाहिए
मिल गए मुस्तफा और क्या चाहिए
दामन ए मुस्तफा जिनके हाथों में है
उनको रोजे जजा और क्या चाहिए
आसियों पर करम हर खता पर अता
रहमते मुस्तफा और क्या चाहिए था

हमको अपनी तलब से सीवा चाहिए
आप जैसे हैं वैसी अता चाहिए
क्यों कहूं ये अता वो अता चाहिए
उनको मालूम है हमको क्या चाहिए
एक कदम भी ना हम चल सकेंगे हुजूर
हर कदम पर करम आपका चाहिए
यह दवा चाहिए यह शिफा चाहिए
आप राजी रहे और क्या चाहिए
आप अपनी गुलामी की दे दे सनद
बस यही इज्जतो मर्तबा चाहिए
दर्दे जामी मिले नात खालिद लिखु
और अंदाजे अहमद रजा चाहिए
दौरे हाजिर के नजदी की क्या हैसियत
अपने सीने में हैदर का दम चाहिए
भर के झोली मेरी मेरे सरकार ने
मुस्कुरा कर कहा और क्या चाहिए

9: NOOR SHER

तू चरागे नूर है तू सरापा नूर का
तू मता ए नूर है तुजसे रुतबा नूर का
अल्लाह अल्लाह चेहराए अनवर से हाला नूर का
जुल्फ नूरी आंख नूरी हिस्सा हिस्सा नूर का
साहिबे वलैल तेरा जल्वा जल्वा नूर का
कतरा कतरा नूर का है सेहरा सेहरा नूर का
गुंचा गुंचा नूर का है चप्पा चप्पा नूर का
तेरे बाग में है हर एक जर्रा नूर का
तेरी नस्ले पाक में है बच्चा बच्चा नूर का
तू है ऐने नूर तेरा सब घराना नूर का

10: KAUN NABI

वो सुबह रबी की सहर का उजाला,
वो जिसको बहारो ने सदियों में बाला,
जिसे हक़ ने खुद आप सांचे मे ढाला,
वो जिसने अंधेरों से हमको निकाला,
वो बरकत का परदा वो रहमत का जला,
वो आदम से ईसा सभी का हवाला,
फलक चांद सूरज सितारे गवाह है,
जमीन के हंसी सब नजारे गवाह है,
वह आया है जिसने जहां को संभाला,
हुस्न की नजाकत उमंगों की माला,
वो हर नूरी बशरी से बेहतरो बाला,
जो समझे कोई उसे होशो बाला,
वो हर मौजीजे में नबियो से आला,
वो तकबी में असद में सबसे निराला,
वह आदम ने अपनी निगाहों में देखा,
वह तखलीके कुदरत की बाहों में देखा,
वह इज्जत में अव्वल वह अजमत में अव्वल,
वह शौकत में अव्वल वह रिफअत में अव्वल,
वह चाहत में अव्वल वह कुदरत में अव्वल,
वो आदम से पहले, वो सालेह से पहले,
वो याह्या से पहले, वो जकरिया से पहले,
वो मूसा से पहले, वो ईसा से पहले,
वो हम गुनहगारों को बक्शवाने आए हैं
वो हमारा बेड़ा पार लगाने आए हैं
वो तौहीद रब की सुनाने आए हैं
वो उम्मत को सीने लगाने आए हैं

11: TALAB KE SIVA

मुझे अपने गम से नवाज कर
मेरी उलजनों को मिटा दिया
मेरे कमली वाले ने जो दिया
बखुदा तलब के सिवा दिया,
दरे औलीयाए किराम ने
मुझे मारेफत का पता दिया
मेरे गौस ने मेरे ख्वाजा ने
मुझे मुस्तफा से मिला दिया,
मिटी फिक्र दिल से नजात की
मिली मौत से मुझे जिंदगी
मेरी कब्र खुल्द से बड़ गई
जो नबी ने जलवा दिखा दिया,
इधर आओ वक्त की गर्दिशो
मेरे दिल में आके पनाह लो
गमे ईश्के शाहे मदीना ने
मेरे हौसलो को बड़हा दिया,
ये सईद अदना सा मोजिजा है
मेरे कमली वाले का
किसी जर्रे पर जो निगाह की
उसे रश्के माह बना दिया

12: MEHBOOB KI MEHFIL

महबूब की महफ़िल को महबूब सजाते हैं
आते हैं वही जिनको सरकार बुलाते हैं
वह लोग खुदा शाहीद किस्मत के सीकंदर है
जो सरवरे आलम का मिलाद मनाते हैं
जो शाहे मदीना को लजपाल समझते हैं
दामाने तलब भरकर महफ़िल से वह जाते हैं
आका की सनाख्वानि दरअस्ल इबादत है
हम नात की सूरत में कुरान सुनाते हैं
जिनका इस भरी दुनिया में कोई भी नहीं वाली
उनको भी मेरे आका सीने से लगाते हैं
इस आस में जीता हूं कह दे ये कोई आ कर
चल तुझको मदीने में सरकार बुलाते हैं
अल्लाह के खजानों के मालिक है नबी सरवर
यह सच है नियाजी हम सरकार का खाते

13: NAHI CHAHIYE

या रसूले खुदा भीख दे दो मुझे
गैर के दर की दौलत नहीं चाहिए
मैं तुम्हारी इनायत का मोहताज हूं
दूसरों की इनायत नहीं चाहिए
या खुदा दे इबादत का ऐसा सिला
मुझको दीदार हो तेरे महबूब का
बंदगी के एवज बागे जन्नत ना दे
मुझको सजदों की कीमत नहीं चाहिए
बुलबुले बोस्ताने मदीना हूं मैं
तुझको रीजवा मुबारक बहिश्ते बरी
बागे तैबा के जिसमें नजारे ना हो
ऐसी वीरान जन्नत नहीं चाहिए
दिल है रोशन मेरा नूरे ईमानसे
मालों जर की मुझे कोई लालच नहीं
मुस्तफा की मोहब्बत बड़ी चीज है
दोनों आलम की दौलत नहीं चाहिए
अजमते बादशाही को मैं क्या करूं
मेरी शान ए फकीरी सलामत रहे
उनके टुकड़ों पर पलती रहे जिंदगी
तख्तो ताज और हुकुमत नहीं चाहिए

14: MAKAME MUSTAFA

अल्लाह गफूरो रहीम है,
रसूलल्लाह राउफो रहीम है
अल्लाह कादीरे कदीर है,
रसूलल्लाह सिराज ए मुनीर है
अल्लाह ला रैब है,
रसूलल्लाह बे ऐब है
अल्लाह रब है,
रसूलल्लाह शाहे अरब है
अल्लाह जुलजलाल है,
रसूलल्लाह आमिना के लाल है
अल्लाह की रबुबियत है,
रसूलल्लाह की नबूवत है
अल्लाह की खुदाई है,
रसूलल्लाह की मुस्तफाई है
अल्लाह रब्बुल आलमीन है,
रसूलल्लाह रेहमतुल्लील आलमिन है,
अल्लाह की इबादत है,
रसूलल्लाह की इताअत है
अल्लाह की बक्शीस है,
रसूलल्लाह की सिफ़ारिश है
अल्लाह देने वाले है,
रसूलल्लाह लेने वाले है
अल्लाह देते रहेंगे,
रसूलल्लाह लेते रहेंगे
अल्लाह को देना आता है,
रसूलल्लाह को लेना आता है
अल्लाह का खजिना बड़ा है,
रसूलल्लाह का सीना बड़ा है,
वो वो है ये ये है वो ये नहीं ये वो नही
अल्लाह लाज वाले है,
रसूलल्लाह मेराज वाले है

15: SHAHE MADINA

फर्शे जमीं और ये अर्शे मोअल्ला
शाही मदीना का सदका है सारा
तारो की जिलमिल ये सूरज ये चंदा
सब्जा ये सेहरा समंदर ये दरिया
बादल बरसना हवाओ का चलना
ये फूल कलिया आब और दाना
धूप और साया अंधेरा उजाला
गर्मी ये सर्दी ये हुस्ने जमाना
रिश्ते ये नाते ये रिश्तो में जीना
चाहत ये उल्फत वफा का करीना
दिल का सहारा ये नूरी मदीना
ये सारी रेहमते बक्शीशे नेअमतो का खजीना
शाह ए मदीना का सदका है सारा
नामे खुदा तो हमेशा रहेगा
और दोनो जहां में मुस्तफा का सिक्का चलेगा

16: MADINE KI DHUL

गली गली का मंजर बड़ा अजीब लगा
के बादशाह भी निकला तो गरीब लगा
बस एक शहरे मदीना है सारी दुनिया में
जहा पोहोच के खुदा भी बोहोत करीब लगा
बात कर मदीने की जिक्र कर मदीने का
इक यही सहारा है इस जहा में जीने का
जबां जब ज़िक्रे सनाए रसूल करती है
सूखन की दाद खुदा से वूसुल करती है
इलाज होना सका जिसका सारी दुनिया मे
इलाज उसका मदीने की धूल करती है

17: MADINE KI DHUL

जमीनों आसमान ना थे तब हुजूर थे
चांद तारे ना थे तब हुजूर थे
लोहो कलम ना थे तब हुजूर थे
सूरज की गर्मी ना थी तब हुजूर थे
बर्फ की ठंडी ना थी तब हुजूर थे
सितारों की चमक ना थी तब हुजूर थे
सुबह का उजाला ना था तब हुजूर थे
रात का अंधेरा ना था तब हुजूर थे
जमीन की मिट्टी ना थी तब हुजूर थे
पत्थर की सख्ती ना थी तब हुजूर थे
जंगल कि खामोशी ना थी तब हुजूर थे
आबशारो का बहाव ना था तब हुजूर थे
शाखो का जुकाव ना था तब हुजूर थे
शामो सेहर ना थे तब हुजूर थे
जन्नतो दोजख ना थी तब हुजूर थे
जानो दिल न थे तब हुजूर थे
अजानो खुतबा ना थे तब हुजूर थे
नमाजो रोजे ना थे तब हुजूर थे
जिन्नो इंसान ना थे तब हुजूर थे
तो इस से पता ये चला के उस वक्त
एक खुदा था और एक नूरे मुस्तफा था
बेहद ने अजब काम किया हद करदी
गुंजाइशे तनकिद सभी रद्द कर दी
खुद तो परदे में रहा मगर खुद को दिखाने के लिए
सामने तस्वीरे मोहम्मद करदी

18: MEHSHAR

पड़ गई मेहशर मे बक्शा गया
देखा जिस दम तो अब्रे करम छा गया
रूख जिधर हो गया जिंदगी पा गया
*आला हजरत फरमाते है
जिस तरफ उठ गई दम में दम आ गया
उस निगाहे इनायत पे लाखो सलाम
*मुफ्ती आजमे हिंद फरमाते है
मेरे आमाल का बदला तो जहन्नम ही था
में तो जाता मुझे सरकार ने जाने ना दिया
*पीर नसीरूदीन नसीर साहब फरमाते है
मेहशर तो है मेहशर किस बात का हमको डर
हम जिनके सनाखा है वो भी तो वहा होगे
*आगे पीर साहब लिखते है
दोजख मे में तो क्या मेरा साया ना जायेगा
क्युकी रसूले पाक से देखा ना जायेगा
*नजमी मिया की रूह आवाज देती है
नजमी को नार की तरफ ले जाए जब मलाइका
आका कहे के छोड़ दो ये तो मेरा गुलाम है
*ताजुशर्रिया की रूह आवाज देती है
हर नज़र कांप उठेगी मेहशर के दिन
खौफ से हर कलेजा दहल जाएगा
पर ये नाज उनके बंदे का देखेगे सब
थाम कर उनका दामन मचल जाएगा

19: RASOOL KA

पत्थर को यू तराशा नगीना बना दिया
सेहरा को मुस्कुरा के मदीना बना दिया
दोनो जहां के फूलों की खुशबू निचोड़ कर
रब ने मेरे नबी का पसीना बना दिया

खाके तैयबा तेरे जर्रो को चमकता देखा
जिस तरफ नजर उठी नूर ही नूर बरसता देखा
हाजियो क्या बताऊं शहरे मदीना में क्या देखा
फूल तो फूल कांटो को भी महकता देखा

वो दोनो जहां के मालिक है
और टूटी चटाई बिस्तर है
उस टूटी चटाई बिस्तर से
सुल्तान की खुशबू आती है
चौदासों बरस का अरसा हुआ
मेराज की शब को गुजरे हुए
इस घर से अभी तक मेहमान की खुशबू आती है

जिसने सुना वो हो गया शयदा रसूल का
कितनी मिठास वाला है लहजा रसूल का
उनको तो आए जमाना गुजर गया
अब तक जमीन खाती है सदका रसूल का

मदीना से नजफ से करबला से आता है
हर मोमिन का रिज्क तो अनोखी अदा से आता है
और जब हम पढ़ते सरवरे कोनैन पे दुरुद
तो जवाब दरे मुस्तफा से आता है

नामे मोहम्मद से खुशबू ए वफा आती है
उनके रोजे से उम्मति उम्मती की सदा आती है
काश बैठे हम भी मदीने की गलियों में
सुना है वहा से जन्नत की हवा आती है

20: NAAM

हर एक नाम से प्यारा मेरे हुजूर का नाम
खुदा ने अर्श पे लिखा मेरे हुजूर का नाम
दुखे दिलो का मदावा मेरे हुजूर का नाम
सभी का मावा ओ मलजा मेरे हुजूर का नाम
दुरूद क्यू ना हो उस नाम के लिए लाज़िम
है कुदसियो का वजीफा मेरे हुजूर का नाम
अहद में भी मिला कर बना दिया अहमद
खुदा के नाम का पर्दा मेरे हुजूर का नाम
निशाको नूरका मलजन लिखूं या दिल का कलाम
है दो जहां का उजाला मेरे हुजूर का नाम

21: ISHQ-E-RASOOL

जमानेभर के जालिमों को खबर कर दो
गुलामे नबी किसी के आगे जुकता नही है
हमारी रूह पर इस्लाम की हुकूमत है
रगो में खून नही इश्के रसूल बहता है
हिफ्जे नामुसे रिसालत मोमिनो की शान है
मुस्तफा पे जान देना यही ईमान है
हम अगर सरकार पे कुर्बान है तो क्या एहसान है
ये दिल भी उन्ही का है और उन्ही की जान है

22: HAMARA NABI

है सरापा उजाला हमारा नबी
रेहमते हक़ का आला हमारा नबी
जिसका कोनेन में कोई सानी नहीं
है वह जग से निराला हमारा नबी
आबे कोसर पियेंगे तो सिर्फ इसलिए
हमको देगा प्याला हमारा नबी
सिदरो निगाहें बशर से कहीं
है बुलंद और बाला हमारा नबी
जिसकी निस्बत से पार हो जाएंगे
है वह सच्चा हवाला हमारा नबी
रब का महबूब है रब का प्यारा नबी
सबसे सच्चा नबी है हमारा नबी
आ गया हलीमा की आगोश में
दो जहां का उजाला हमारा नबी
यतीमो गरीबों का फरियाद रस
बे कसो का सहारा हमारा नबी
भूली भटकी हुई सारी मखलूकको
किसने आकर सवार हमारा नबी
पत्थरों झट से पढ़ना है कलमा तुम्हें
जब करेगा इशारा हमारा नबी
दिल की राहत है आंखों की ठंड है वह
सबकी आंखों का तारा हमारा नबी
है नबूवत के तारे तो सारे नबी
चांद सारे का सारा हमारा नबी
वह करम ही करम वह है रब की अता
आशिकों का सहारा हमारा नबी
अपनी जन्नत में आराम फरमा है वह
क्या हंसी है नजारा हमारा नबी
बू बक्रो उमरो गनियो अली
सबका आका वो मौला हमारा नबी
कोई नबी ना कयामत तलक आएगे
है कयामत तलक हमारा नबी
आयशा से रिवायते कुरान पड़ो
हे ये सारे का सारा हमारा नबी
अल्फ अल्फाज अल्फाज से आयते
आयतो से सिपारा हमारा नबी
तिरगी में उजाला हमारा नबी
चश्मे आलम का तारा हमारा नबी
गैब्दा कमली वाला हमारा नबी
सबसे औला व आला हमारा नबी
सबसे बाला व बाला हमारा नबी
अपने मौला का प्यार हमारा नबी
दोनों आलम का दूल्हा हमारा नबी
जैसे मेहरे समा एक है वैसे ही
जैसे बाबी अता एक है वैसे ही
जैसे रोजे जजा एक है वैसे ही
जैसे सबका खुदा एक है वैसे ही
इनका उनका तुम्हारा हमारा नबी
अल्लाह अल्लाह वो उम्मी वो उसदाजे कुल
मच गया जिसकी बाऐज से मक्के में गुल
खल्क से औलिया औलिया से रूसुल
और रूसुलो से बाला हमारा नबी
दर पे गैरो की जहमत ना फरमाईए
भीख लेने मदीने चले आइए
कोई देता है तो सामने आइए
मांगने वालो तुमको तो यूं चाहिए
मांगना भी किसी से क्यू चाहिए
कोन देता है देने को मुंह चाहिए
देने वाला है सच्चा हमारा नबी