एक अजीब तरीक़ा जो आज कल गंदी फिल्मों के ज़रिये आम किया जा रहा है वो है ओरल सेक्स यानी एक दूसरे की शर्मगाह को मुँह में लेना, चूमना और चूसना (सुनने में ही कितना खराब लगता है) जिस मुँह से क़ुरआन की तिलावत की जाती है उस मुँह के साथ ऐसी हरकत कैसे की जा सकती है पर आज कल नौजवानों में ये तरीका आम होता जा रहा है और कुछ तो ये समझते हैं कि इस के बिना लज़्ज़त अधूरी रह जाती है। जो मियाँ बीवी ऐसा करते हैं, वो पता नहीं कैसे एक दूसरे से नज़रें मिलाते हैं। ये शर्म से डूब मरने का मक़ाम है।
इमाम बुरहानुद्दीन हनफ़ी रहीमहुल्लाहु त'आला (मुतवफ्फा 616 हिजरी) लिखते हैं कि जब मर्द अपने आले (Penis) को अपनी बीवी के मुँह में दाखिल करे तो कहा गया है कि ये मकरूह है इसीलिये के मुँह क़ुरआन पढ़ने की जगह है पस इस वजह से आले का मुँह में दाखिल करना मुनासिब नहीं। (محیط برہانی، ج1، ص134) फ़तावा आलमगीरी में हैं: जब मर्द अपने आले (Penis) को अपनी बीवी के मुँह में दाखिल करे तो कहा गया है कि ये मकरूह है। (فتاوی عالمگیری، ج5، ص572 بہ حوالہ فتاوی اتراکھنڈ، ج1، ص323)
अगर्चे ये हराम नहीं लेकिन ऐसा करना सहीह नहीं है, इससे बचना चाहिये। अल्लामा मुफ़्ती खलील खान बरकाती लिखते हैं कि ये काम इंतिहाई बेहयाई और बेअदबी का है और ऐसा (करने वाला) शख़्स निहायत अहमक़ और बेवक़ूफ़ है और अल्लाह से डरना चाहिये और अल्लाह त'आला की तरफ रुजू करे और सच्चे दिल से उस की बारगाह में तौबा करे और अपनी इस हरकत पर शर्मिंदा हो और आइंदा इस अमल के क़रीब भी न जाये। हया और शर्म ईमान का आला दर्जा है और बुखारी की हदीस है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु त'आला अ़लैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जब तुझ में शर्म नहीं तो जो चाहे कर। (فتاوی خلیلیہ، ج2، ص489)
एक और सवाल के जवाब में लिखते हैं कि ये अमल करने वालों की दिली गंदगी का पता देती है, सच्चे दिल से तौबा करें (ऐसे फे'ल से)। (فتاوی خلیلیہ، ج3، ص211)