Ramadan Topic: Mahe Ramzan me bohot si khubiyo ka parvan chadhata hai
माहे रमजा़न रोज़ादार के अंदर बहुत सी रूहानी और अख़्लाकी़ खूबियों को परवान चढ़ाता है।
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अल्लाह का खौफ हर हालत में रोज़ादार के दिल पर तारी रहता है। यही वजह है कि वह खिल्वत में कोई ऐसा काम नहीं करता जो हुक्म रब्बानी के खिलाफ हो।
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रोजादार के अंदर सब्र और बर्दाश्त नीज़ जब्त नफ़्स की सलाहियत पैदा हो जाती हैं। वह गालि या दावते मुबारजत के जवाब में सिर्फ यह कहता है कि मैं रोज़दार हूँ और गुज़र जाता है।
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अपने अवकाते कार को मुंजबित करता है, शब बेदारी की आदत पैदा होती है, तहज्जुद ओर नवाफिल का पाबंद हो जाता है, जमाअत का एहतिमाम करता है।
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उसके अंदर अपने एहतिसाब की सलाहियत पैदा हो जाती है ,वह शैतान के मुकाबले के लिए खूद को तैयार कर लेता है ओर उसको कुदरत की तरफ से एक ढाल मिल जाती है जो शैतान के हमलों से महफूज रखती है।
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उसके लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं, जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और शयातीन को पाबंदे सलासिल कर दिया जाता है।
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रमजान की बर्कत से उसे दो खुशियां मैयस्सर आती हैं, एक वक्ते इफतार और एक जियारते परवरदिगार के वक्त।
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इस माहे मुबारक में रोज़ादार के नवाफिल फर्ज का, फर्ज़ सत्तर फर्जों का हामिन रहते हैं।
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इस माहे मुबारक में रोजादार का दिल नर्म और अख्लाकी ख़ूबियों से मामूर होता है। उसके अंदर जज़ब-ए-सखावत पैदा होता है।
और दूसरे दिनों के मुकाबले में ज़्यादा उमूरे खैर में हिस्सा लेता है।
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इफतारी और सहरी की बर्कतें हासिल करता है।
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रोजा़ और कुरआन की शफाअत का मुस्तहिक होता है।
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लैलतुल क॒द्र की बर्कतों से फैज़याब होता है।
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रोजदार खूद को रमजा़न के वाद भी नफली रोजों के लिए आमादा कर लेता है।
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रोजा़दार जिस्मानी सेहत से बेहरामंद हो जाता है।