Ramadan Topic: रोज़ा के फायदे | Roze Ke Fayde


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रोज़ा के फायदे | Roze Ke Fayde

रोज़ा के फ़वाइद | Roze Ke Fayde in Hindi

मेर प्यारे आका़ सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम के प्यारे दीवानो अल्लाह तआला अलीम व हकीम है, इसके हर काम और हर हुक्म में कोई न कोई हिकमत जरूर शामिल होती है, यह और बात है कि इंसान का ज़हन उसको न समझ सके मगर उसका कोइ भी हुक्‍म हिकमत से खाली नहीं है। उसने हमें रोज़ा रखने का हुक्‍म फ़रमाया। बजा़हिर इसमें कोइ फा़यदा नज़र नहीं आ रहा है, लेकिन इसमें जु़रूर फायदे हैं।

जैसा कि मुफ्स्सरीने किराम ने बयान फ़रमाया है:

  • अल्लाह तबारक वतआला ने रोज़े का एक फा़यदा तकवा बयान फ़रमाया है। ऐ ईमान वालो! तम पर रोज़े फ़र्ज़ किए गए जेसा कि तम से अगलो पर फ़र्ज़ किए गए थे, इस उम्मीद पर कि तुम्हें परहेज़गारी मिले ।

    हज़रत अबू हरेरा से रिवायत है कि रसूलल्नाह सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम सीने की तरफ़ इशारा करके फ़रमाया तक़वा यहां है।

    तक़वा दिल की उस केफि़यत का नाम है जिस्का हुसूल के बाद इंसान गनाह करने से डरता हैं और ख़ोफ़े इलाही की वजह से गुनाह से झिजक महसूस करता है।

    इंसान के दिल में गनाहों की अकषर ख़्वाहिशात हैवानी कुव्वत की ज्यादती से पैदा होती हैं, रोजा़ रखने से हैवानी कुव्वत कम हो जाती है, यही वजह है कि जो नौजवान माली मजबुरियां की वजह से निकाह नहीं कर सकते और साथ ही नफ़सानी ख्वाहिशात पर काबु भी नहीं रखते उनका इलाज रसूलल्लाह सल्लेल्लाहु अलयहि व सल्लम ने रोज़ा बताया है और फ़रमाया है कि शहवत को तोड़ने और कम करने के लिए रोजा़ बेहतरीन चीज है।
  • जिस तरह हर चीज अपनी जि़द से पेहचानी जाती है इसी तरह खाने पीने की क॒द्र भी रोजा़ रखने से होती है, शिकम सैर हो कर खाना खाने वाले अमीरों को रोज़ा रखने से यह पता चलता है कि जब चंद घण्टों की ख्तियारी भूक की यह कैफि़यत है तो जो गरीब हैं उनकी हफ़तों की इज़तिरारी भूख का क्या आलम होगा?
  • गरीब और फा़का़ कश लोग सारा साल भूख और प्यास मे गुजारते हैं, अल्लाह तआला ने उनकी मशाबेहत कायम करने के लिए एक माह सारे मुसलमानों पर भूख और प्यास की केफि़यत तारी कर दी।
  • अल्लाह तआला ने इंसानों को बेशमार नेअ्मतों से नवाजा़ है, इन नेअ्मतों में से खाना, पानी ओर बीवी यह ऐसी नेअ्मतें हैं जो इंसानों की रोजा़ना की ज़रूरतें हैं। अल्लाह तआला इन्हीं नेअ्मतों के ज़रिये मुसलमानों की आज़माइश करना चाहता है कि कितने लोग अल्लाह की इताअ़त में चंद साअत इन नेअ्मतों के इस्तेमाल से हाथ रोक कर अल्लाह की बंदगी और अल्लाह की मुहब्बत में सारी चीजें कुर्बान करने का जज़बा-ए-सादिक़ रखते हैं।