नमाज़े तहज्जुद का बयान | Namaz E Tahajjud Ka Tarika


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नमाज़े तहज्जुद का बयान | Namaz E Tahajjud Ka Tarika

नमाज़े तहज्जुद का बयान | Namaz E Tahajjud Ka Tarika, Rakat Aur Niyat Kese Kre?

नमाज़े तहज्जुद:इसी सलातुल लैल की एक किस्म तहज्जुद है। तहज्जुद ये है कि इशा की नमाज़ के बाद सो कर उठें और नफ्ल पढ़ें।

सोने से पहले जो कुछ पढ़ें वो तहज्जुद नहीं।

तहज्जुद नफ़्ल का नाम है तो अगर कोई इशा के बाद सो कर उठा और कज़ा नमाज़ें पढ़ीं तो उसे तहज्जुद ना कहेंगे।

नमाज ए तहज्जुद की कितनी रकात होती है?

नमाज ए तहज्जुद की कितनी रकात होती है? | Namaz E Tahajjud Ki Kitni Rakat Hoti Hai?

कम से कम तहज्जुद की दो रकाअतें हैं यानी 2 पढ़ सकते हैं और हुज़ूर ﷺ से 8 रकाअत साबित है।

नमाज़ ए तहज्जुद की नियत केसे करे?

नमाज़ ए तहज्जुद की नियत केसे करे? | Namaz E Tahajjud Ki Niyat Kese Kre?

नियत की मेने २ रकात नफ़्ल तहज्जुद की वास्ते अल्लाह ताला के मुह मेरा काबा शरीफ की तरफ, अल्लाहु अकबर

नमाज ए तहज्जुद की फजी़लत

नमाज ए तहज्जुद की फजी़लत | Namaz E Tahajjud Ki Fajilat?

हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया कि जो शख्स रात को बेदार हो और अपने अहल को जगाये फिर दो दो रकाअत वो पढ़ें तो कसरत से याद करने वालों में लिखे जायेंगे।

नमाज ए तहज्जुद का वक्त

नमाज ए तहज्जुद का वक्त | Namaz E Tahajjud Ka Waqt

जो शख्स रात के तीन हिस्से करना चाहता है और दो हिस्से सोने के लिये और एक हिस्सा इबादत के लिये रखना चाहता है तो बेहतर ये है कि पहला और आखिरी हिस्सा सोने के लिये रखे और बीच वाले हिस्से में इबादत करे और अगर आधी रात सोना चाहता है और आधी इबादत तो पिछली आधी रात इबादत के लिये अफ़ज़ल है कि बुखारी व मुस्लिम में हज़रते अबू हुरैरा रदिअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है कि हुज़ूर ﷺ ने इरशाद फ़रमाया कि अल्लाह तआला हर रात में जब पिछली तिहाई बाक़ी रहती है तो आस्माने दुनिया पर तजल्ली फ़रमाता है और फरमाता है कि है कोई दुआ करने वाला कि उस की दुआ कुबूल की करूँ, है कोई मांगने वाला कि उसे दूँ और है कोई मगफिरत चाहने वाला कि उसे बख्श दूँ।

दोनो ईद, और 15वीं शाबान की रातों, और रमज़ान की आखिर 10 रातों में शब बेदारी मुस्तहब है। रात के अक्सर हिस्से में जागना भी शब बेदारी है। ईदैन की रातों में शब बेदारी ये है कि इशा की और सुबह की नमाज़ जमाअते ऊला से पढ़े कि सहीह हदीस में है कि जिस ने इशा की नमाज़ जमाअत से पढ़ी उस ने आधी रात इबादत की और जिस ने फज्र की नमाज़ पढ़ी उस ने पूरी रात इबादत की। (सहीह मुस्लिम)

अगर ईद की रात में जागेगा तो फिर नमाज़े ईद और क़ुरबानी में दिक़्क़त होगी लिहाज़ा सिर्फ इतना ही करे कि इशा व फज्र जमाअते ऊला ना छूटने पाये और अगर जागने से हर्ज नहीं होगा तो जागना बेहतर है। इन रातों में तन्हा नफ़्ल नमाज़ पढ़ना, क़ुरआन की तिलावत, हदीस पढ़ना या सुनना, दुरूद वग़ैरह पढ़ना शब बेदारी है ना कि सिर्फ़ जागना।