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मरहबा कितने मुकर्रम हैं मेरे प्यारे नबी

मोनिसो हमदर्दे आलम हैं मेरे प्यारे नबी,
मरहबा कितने मुकर्रम हैं मेरे प्यारे नबी

मन्सबे महबुबियत पे कोई भी फायज़ नहीं,
सारे नबियों में मुअज़्ज़म है मेरे प्यारे नबी

अय ज़माने वालों मुझको बे सहारा मत कहो,
मेरे मानिस मेरे हमदम हैं मेरे प्यारे नबी

सन्गरेज़े बोल उठे हाथ में बूजेहल के
अज्मतों वाले है आज़म हैं मेरे प्यारे नबी

आपकी सीरत ही काफी है तसल्ली के लिये,
गम नहीं जो सैकड़ो गम हैं मेरे प्यारे नबी

कोई ढूंढे भी तो पाए आपका साया कहाँ,
आप तो नूरे मुजस्सम हैं मेरे प्यारे नबी

खुल्द में जाने से मेहज़र कौन रोकेगा मुझे,
जब शफिये हर दो आलम है मेरे प्यारे नबी